
जब मनहर भाई से मैंने रफ़ी साहब के बारे में पूछा तो उन्होंने ये बताते हुए चौंका दिया कि उषा खन्ना के संगीत बनी फ़िल्म दीदार और कल्याणजी-आनंदजी की फ़िल्म राजा-साब में उन्हें रफ़ी साहब के साथ गाने का मौक़ा मिला था. अभिमान में लताजी के साथ क्या अनुभव रहा तो मनहर भाई बहुत भावुक होते हुए बोले कि दीदी की सोच और विचार में जो गहराई है उसका अहसास उनके निकट जाए बिना नहीं हो सकता. अपने करियर की शुरूआत में जब मनहर लताजी के साथ कुछ स्टेज शो कर रहे थे और तब लताजी ने आगे होकर एस.डी.बर्मन को फ़िल्म अभिमान के लिये इस नई आवाज़ का नाम सुझाया. उल्लेखनीय है कि मनहर उधास गुजराती संगीत का एक बड़ा नाम है और अब तक उनकी गुजराती ग़ज़लों के २७ एलबम निकल चुके हैं. इन एलबम्स को गुजराती संगीतरसिकों ने अपार स्नेह दिया है और बिक्री के लिहाज़ से भी अदभुत सफलता हुई है.
गुजरात से इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर सन १९६९ में मुबई आए मनहर के गीत तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है ( आप तो ऐसे न थे) तू मेरा जानू है (हीरो) हर किसी को नहीं मिलता (जानबाज़) तेरा नाम लिया( राम-लखन) सुर्ख़ियों में बने रहे हैं. विनम्रता और स्वभाव की मधुरता मनहर को तथाकथित सेलिब्रिटि कल्चर से दूर करती है और वे हमेशा एक ज़हीन इंसान की तरह पेश आते हैं और मिलने वाले को खुलूस और आत्मीयता से भर देते हैं. उनसे मिलकर यह अहसास भी तारी हो जाता है कि मीठी आवाज़ के लिये वैसी तबियत भी बहुत काम आती है.
(मनहर उधास के साथ ये चित्र ख़ाकसार का है.नब्बे के दशक में मनहर भाई एक प्रस्तुति के लिये इन्दौर आए थे)
मैने मनहर उधास जी कोगाते सुना है। उन्हें बहुत विनम्र इंसान पाया। उनका गाया गीत " नयन ने बंध राखी ने में ज्यारे तमने जोया छे..." जब बजता है तो लोग उस गीत को सुनने के लिए रुक जाते हैं।
ReplyDeleteऔर शायद मोबाईल के कॉलर ट्यून के रूप में (गुजराती गीत) सबसे ज्यादा यही गीत बजता होगा।
अच्छी लगी ये मुलाकात ....
ReplyDeleteख़ाकसार का चित्र भी ....:))